इस समाज से बदलाव की उम्मीद रखना महिलाओ के लिए सही या गलत ?




जिस समाज में लोग अगर महिलाओ के  कपड़ो से उसके व्यक्तिव को आंकते है या वो अपने रात में कितने बजे घर आती है इस बात से..तो ऐसे समाज में अगर बदलाव भी आना होगा तो उसमे अभी शायद बहुत समय है ....

आये दिन Delhi  या देश के अलग राज्यो में होने वाली घटनाये और उसके बाद राजनेताओ या और भी शिक्षित लोगो के आने वाले बयान और लोगो की मानसिकता ..जो ये कहती है की किसी लड़की ने या महिला के कपडे पहनने या देर से आने की वजह से ये घटना हुई है .....इस समाज के एक पिछड़े और काले चहरे को भी दर्शाती है ....

शायद इस समाज में बदलाव जरूर आये , हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए पर....यह Poster ,banner , internet कैंपेन या candle  मार्च से आ जाये ये मुश्किल लगता है ..
महिलाये जब तक अपने सुरक्षा के लिए स्वयं कोई ठोस कदम नहीं उठाएंगे इस समाज में बदलाव नहीं आने वाला ....उन्हें स्वयं पहल करनी होगी ...स्वयं जागरूक होना होगा और अपने आस पास की छोटी बच्चियों को भी करना होगा ...
आने वाली महिला पीढ़ी को शुरू से ही इन बातो का ध्यान रखना होगा ...अच्छी बात तो ये होगी अगर माँ बाप ही आपको घर के काम के साथ साथ ..स्वयं की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता का ज्ञान घर से ही दे...और अगर माँ बाप या आपके अपनों से आपको ये सिख नहीं मिलती तो आप स्वयं खुद के लिए और समाज की महिलाओ के लिए पहल करे..  

आखिर सालो पुरानी ये सोच पे अगर चोट करना है तो ...खुद ही महिलाओ को हथियार उठाना होगा ..                                                                

Comments

Popular posts from this blog

क्यों सैकड़ो "रचना" स्कूल नहीं जा पाती..असली दर्द शायद समझना मुश्किल नहीं (Girls Child Still missing school in India)

धर्म-मज़हब की बेड़ियो में जकड़ता अंगदान (A Way to Live after Death )Organ Donation in India

अनदेखा और भुला बचपन (Ruined Childhood in India Story)